फटे कपडे बदन ज़ख़्मी तुम्हे दुखड़ा सुनाती है
मोदी !ओ! भारत के लाल तुम्हे दिल्ली बुलाती है
यहाँ हर मोड़ हर चौराहे पर अब लुटती है लाज़
हर तरफ भ्रष्ट नेता हैं हरसू महगाई का है राज
दुधमुही बच्चियां, हैवानियत से अब फडफडाती हैं
मोदी !ओ! भारत के लाल तुम्हे दिल्ली बुलाती है।
मेरे एक और भूखा बच्चा एक और सड़ता अनाज है
करू क्या में हूँ बस मजबूर मुझपे निकम्मों का राज है
मेरे अब हाल पर देखो दुनिया ठहाके लगाती है
मोदी !ओ! भारत के लाल तुम्हे दिल्ली बुलाती है।
मुझे लुटा कभी गैरों ने कभी अपनों ने हे लुटा
कोई बर्बर लुटेरा था कोई मक्कार, कोई झूठा
मेरी गलियां गोरी, बाबर के नाम गिनाती हैं
मोदी !ओ! भारत के लाल तुम्हे दिल्ली बुलाती है।
जब भी मोदी! ओ मोदी! की अब हुंकार उठती है
मेरे ज़र्ज़र बदन में भी एक झंकार उठती है
तेरे आने की आहट से दिशाएं मुस्कराती हैं
मोदी !ओ! भारत के लाल तुम्हे दिल्ली बुलाती है।
---सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२० ९ ८ ६ ९
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