Friday 12 October 2012

बलात धर्मपरिवर्तन- देवलदेवी और रिंकल कुमारी













कोई सात सो साल के अंतराल पर घटी दो घटनाएं. एक सात सो साल पहले तब जब भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश एक हुआ करते थे, और तो और कुछ भाग तब हमारे अधिकार में अफगानिस्तान का भी रहा करता था. शायद हमारे अधिकार में नहीं वस्तुता : उनके अधिकार में जो शासक थे. उस वक़्त हम पर शाशन करने वाला सुल्तान था अलाउद्दीन खिलज़ी. जिसे अपने हरम में स्त्रियों की संख्या बढाने में अद्भुत आनंद आता था. इसी उद्देश्य के लिए वो भारत के विभिन्न हिस्सों में भटकता फिरा. चाहे वो राजस्थान का चित्तोर हो या फिर गुजरात का पाटन.

यहाँ कुछ इतिहासकार मेरे से असहमत हो सकते हैं, की  अल्लाउदीन ने सिर्फ वासना पूर्ति के लिए ये युद्ध नहीं किये. में इस तर्क से पूरी तरह से सहमत हु. वास्तव में उस सुल्तान में योनी सुख के साथ-साथ धन और साम्राज्य की भी लालसा थी. हा एक बात ओर है , उसका प्रन्शंश्क न होते हुए भी में ये कहूँगा की वो एक महान सेनानायक था.     

पर में सिर्फ उसके नारी देह के सुख के लिए किये गए आताचार के विरुद्ध इस वक़्त इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि इस के परिणामस्वरूप न जाने कितनी लड़कियों को नरक की यातना झेलनी पड़ी.जिसमे  उनका सिर्फ इतना कसूर था की वो जन्म से लड़की थी. उन्हें खिलोने की तरह एक बिस्तर से दुसरे बिस्तर पर धकेला गया. संधियों के वक़्त उन्हें दुश्मनों के आगे भी परोसा गया. ये सब इसलिए उन्हें सहना पड़ा क्योंकि वो स्त्रिया थी. सो उन्हें पुरुष वर्ग की महत्वाकांक्ष की भेंट तो चड़ना ही था.

अब कुछ चर्चा करेंगे गुजरात की राजकुमारी देवलदेवी और सिंध की फूल सी लड़की रिंकल कुमारी के दुर्भाग्य पर.

दोनों के वक़्त के बीच लगभग ७०० साल का फासला है पर ये फासला किसी भी तरह से लड़कियों पर हो रहे आत्याचार और उन्हें योनी-दासियाँ बनाने से न रोक सका है. आज भी उन्हें कभी गरीबी के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर अगुवा कर लिया जाता है और फिर उनका जबरन धर्मपरिवर्तन करके झोंक दिया जाता है बिस्तर पर बनी नरक की भट्टियों में.

* गुजरात से अपने राज्य और अपनी बीवी दोनों को गवाने के बाद जब रजा कर्णदेव बग्लाना में रूककर अपनी अल्पायु पुत्री के विवाह का प्रबंध देवगिरी के राजकुमार शंकरदेव के साथ कर रहा था तब तुर्क सेना ने अचानक धावा बोलकर देवलदेवी का अपहरण कर लिया और उसे तुरंत देल्ही भेज दिया जहाँ उसका जबरन धर्म परिवर्तन करके उसकी इच्छा के विरुद्ध एक नशेडी शहजादे के साथ रहने और उसकी योनी - दाशी बनने को मजबूर कर दिया गया.   

* सिंध के एक शहर मीरपुर में रहने वाली एक मासूम लड़की रिंकल जो उस वक़्त अपने भाई की होने वाली शादी की तय्यारिओं में खुश थी, अचानक एक सुबह मियां मिठो और उसके गुंडों ने उस बेचारी का अपहरण कर लिया. उसी दिन उसका जबरन धर्मपरिवर्तन करके उसे एक मुस्लिम लड़के नवेद शाह की योनी - दासी बना दिया गया, ये बात अलग है की उस वक़्त बेचारी रिंकल रो-रो कर इसका पुरजोर विरोध करती रही.  

* देवलदेवी हर तरह से मिन्नत की पर उसकी एक न सुनी गई और देल्ली सल्तनत ने उसे हरम में रहने पर मजबूर कर दिया.

* रिंकल ने हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चिल्ला-चिल्ला के अपनी माँ के पास रहने का अनुरोध किया पर सो रही न्याय की देवी ने उसे मियां मिथ्ठो के बनाये  हरम में भेज दिया.
  

 * देवल देवी के फर्जी पति खिज्र खान ने  तब के लेखक को धन दौलत और राजकीय हुक्म देकर अपनी और देवलदेवी की झूटी प्रेमकहानी 'आशिका' लिखवाई.

* रिंकल के अपहरंकर्तावं नेकुछ मीडिया वालो के सामने रिंकल को उसके माँ-बाप को जान से मर डालने  की धमकी देकर उससे झूठा ब्यान दिलवाया.

* देल्ही सल्तनत में हुई उथल-पुथल के कारण मुबारक ने अपने बड़े भाई को अँधा कर के राज्य हथिया लिया साथ ही साथ उसने देवलदेवी को भी अपनी रखेल बनने के लिए मजबूर कर दिया.

* यकीनन (खुदा न करे) मिया मिथ्ठो के हरम में रिंकल के साथ भी एसा ही हो रहा  होगा. 

वक़्त ने फासला जरूर तय कर लिया है पर लड्कियो को  अपने सुख का साधन अब भी समझा जाता है. उनके दर्द के बारे में कोई नहीं सोचता. उन्हें इस धर्म की वेदी पर कुर्बान कर दिया जाता है....

ये सब तब तक होता रहगा...जब तक हम सोते रहंगे...


सुधीर मौर्य 'सुधीर'    



1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (13-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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