कलम से..
Gazal,Nazm,Stories & Article by Sudheer Maurya
Pages
मुखपृष्ठ
ब्लाग तड़ाग
साँझ
साहित्य
आह
साहित्य-'नारी दस्तखत'
मित्र मधुर
संजोत
Sudheer
Tuesday, 30 December 2014
ओ सुजाता ! - सुधीर मौर्य
ओ
सुजाता
!
मै
तकता
हूं
तेरी
राह
और
चखना
चाहता
हूं
तेरी
हाथ
की
बनी
खीर
देख
मै
नही
बनना
चाहता
बुद्ध
नही
पाना
चाहता
कैवल्य
मै
तो
बस
चाहता
हूं
छुटकारा
दुखो
से
अपने
देवी
!
दान
दोगी
न
मुझे
एक
कटोरा
खीर
का
.
--
सुधीर मौर्य
2 comments:
Ankur Jain
30 December 2014 at 20:14
सुंदर अभिव्यक्ति।
Reply
Delete
Replies
Sudheer Maurya 'Sudheer'
31 December 2014 at 08:07
bahut aabhar bhai
Delete
Replies
Reply
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeletebahut aabhar bhai
Delete