Tuesday 21 August 2012

आओ हमारे भी देश....




कभी आओ हमारे भी देश
धर के दुल्हन का तुम भेष

मेरी गलियों से जो गुजरो तुम
में गलियों में झालर लगा दूँ
मेरे आँगन जो आओ प्रिये
तुम्हारे पावं में माहवार लगा दूँ

फूलों से सजा दूँ केश



रूप सादा तुम्हारा सलोना
मुझ पे डाले है जादू-टोना
बाल कलियों से अपने सजा कर
हाथ मेहँदी से अपने रचाकर

मुझ से आ कर तो करो लवलेश

By Sudheer Maurya ;sudheer'

1 comment:

  1. मेरे सहोगी ब्लॉग मित्र मधुर से प्रकाशित मेरी नज़्म...

    ReplyDelete