कलम से..
Gazal,Nazm,Stories & Article by Sudheer Maurya
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Tuesday, 30 December 2014
ओ सुजाता ! - सुधीर मौर्य
ओ
सुजाता
!
मै
तकता
हूं
तेरी
राह
और
चखना
चाहता
हूं
तेरी
हाथ
की
बनी
खीर
देख
मै
नही
बनना
चाहता
बुद्ध
नही
पाना
चाहता
कैवल्य
मै
तो
बस
चाहता
हूं
छुटकारा
दुखो
से
अपने
देवी
!
दान
दोगी
न
मुझे
एक
कटोरा
खीर
का
.
--
सुधीर मौर्य
Thursday, 4 December 2014
अक्षर अक्षर याद - सुधीर मौर्य
उसने कहा था
एक दिन
कैसे रखोगे तुम याद मुझको
मेरे गैर होने के बाद
मै लिखता हूँ
अपनी नज़्मों में
उसका ही नाम
खामोश लफ्ज़ो में
और मेरी नज़्में
सबूत है इसका
मैं याद करता हूँ उसे
अक्षर अक्षर।
--सुधीर मौर्य
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