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Tuesday, 18 June 2013

जरूर मेरे ग़मों से वो आगाह होगी - सुधीर मौर्य



बसंत से मेरी भी रस्मों राह होगी 
कभी तो ये जीस्त खुश्निगाह होगी 

तेरी आँखे झुक झुक के उठती होंगी 
ये वो राज है रात जो स्याह होगी 

सुना है वो भी रात भर सो  पाया 
की छुप छुप के उसने पढ़ी 'आहहोगी 

मेरी कब्र पे रौशन जो उसने शमा की 
जरूर मेरे ग़मों से वो आगाह होगी 

--  सुधीर मौर्य  

2 comments:

  1. बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (19 -06-2013) के तड़प जिंदगी की .....! चर्चा मंच अंक-1280 पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

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